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संघे शक्ति सर्वदा
दो शब्द
प्रजातंत्रीय व्यवस्थान्र्तगत विधि मान्य संगठनों एवं संस्थाओं की भूमिका महत्वपूर्ण होती हैं। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक शिक्षकांे का एक मात्र संगठन है जो शिक्षकों की सेवा सुरक्षा के साथ-साथ सामाजिक, आर्थिक, नैतिक एवं शिक्षा स्तरोन्नयन की दिशा में सदैव प्रयत्नशील है। संघ में जीवन्तता बनाये रखने हेतु पदाधिकारियांे के साथ-साथ सदस्यों मंेे भी नैतिक बोधगम्यता का होना आवश्यक है।

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कुछ प्राणी ऐसे निराश होते हैं कि हम कभी सफल नहीं हो सकते, क्यांेकि हमारी तकदीर या परिस्थितियां ही ऐसी हैं। परन्तु ऐसा नहीं है, यदि हम अपनी असफलताओं के बारे में ही सोचते रहंेगे तो सफलता को नहीं प्राप्त कर सकेंगे। सफल होना हर मनुष्य का अधिकार है। अपनी क्षमता पर कभी भी अविश्वास न करें, क्यांेकि विश्वास के बिना प्रत्येक काम कठिन है। आपके मन का विश्वास ही आपके मुश्किलांे को आसान बना सकता है। किसी भी कार्य की सफलता के लिए श्रद्धा व लगन अति आवश्यक है। जो कौम अनवरत अपनी स्थिति का आकलन-परिकलन कर विकास के मार्ग को प्रशस्त करती रहती है उसे किसी भी प्रकार की अड़चने रोक नहीं पाती।
आज शिक्षक का वेतन अपने संवर्ग के अन्य कर्मचारियांे से काफी आगे है। शिक्षकांे के वेतन से अब अधिकारियांे के वेतन की तुलना की जा रही है। आज समूचे समाज, शासन, प्रशासन की शिक्षक पर विशेष नजर है। अतः आज के इस समय मंे आप से मात्र यही अपेक्षा है कि अब अपना रहन-सहन बदलें। रहन-सहन बदलने से तात्पर्य यह है कि आपके व्यक्तित्व आचरण वेशभूषा, आप का संग-साथ व आपके विचार-विमर्श से यह प्रतीत होना ही चाहिए कि आप भारत के सर्वश्रेष्ठ शिक्षक मात्र वेतन व सुविधाओं के मामले मंे ही नहीं बल्कि अपने व्यक्तित्व, दक्षता, कौशल एवं विचार विमर्श के प्रसंगों के चलते भी आप समाज के आदर्श व अनुकरणीय हैं। आज आपके बीच चर्चा का यह विषय होना चाहिए कि पाठ्यक्रम का विकास कक्षा मंे किस प्रकार के शिक्षण पद्धति से किया जाय कि बच्चे की रूचि कक्षा में बनी रहे। शिक्षक के रुप मंे समाज में आपकी गौरवमयी स्वीकार्यता कैसे बढ़े। हम चर्चा करें अपने कक्षा में पढ़ाये गये विषयों की व उन्हें सरल बनाने की उपायांे पर नित नये हो रहे मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, भौगोलिक शोधांे से परिचित होकर उन्हें अपने छात्रों मंे इनके मानसिक स्तर के अनुरुप सरलीकृत कर परिचित करायंे। यदि शिक्षक अपने आचरण में इन समस्त अवयवांे का समावेश किया तो निश्चित रुप से शिक्षक स्वाभिमान की वृद्धि होगी व अपनी स्वर्णिम उपलब्धियों की रक्षा भी कर सकेगा, तथा निरन्तर विकास की नई ऊचाईयां भी प्राप्त करता रहेगा।
आदिकाल से ही शिक्षा व छात्र का परम् हितैषी शिक्षक ही रहा है और आज भी वही है। छात्र के लिए शिक्षक से बड़ा हितैषी और कोई नहीं हो सकता। आखिर जब शिक्षक को ही पढ़ाना है तो यह कोई दूसरा क्यांे तय करता है कि छात्रों को कैसे पढ़ाया जाय। इसे शिक्षक व छात्र को ही तय करने दिया जाय, क्योंकि शिक्षक के पास उसका अनुभूत सत्य होता है तथा किन-किन स्तरों पर कौन सी व्यवहारिक कठिनाइयां आती हैं इसका सबसे अच्छा ज्ञान शिक्षक को ही होता है, परन्तु शिक्षा व्यवस्था के इस कथित सुधार यज्ञ में शिक्षक से परामर्श लेने की जहमत नहीं उठायी जा रही है, जो उचित नहीं है। विद्यालयांे मंे मिड-डे मिल योजना लागू है उसके क्रियान्वयन के सम्बन्ध मंे मिड-डे मिल प्राधिकरण आज तक यह निश्चित ही नहीं कर पा रहा है कि मिड-डे मिल की जिम्मेदारी शिक्षक की है या ग्राम प्रधान की। इससे एक अजीब टकराव की स्थिति बनती जा रही है। एक तरफ सरकार निरन्तर बच्चों के शिक्षा के मौलिक अधिकार प्रदान करने के लिए पूरजोर प्रयत्न कर रही है तो वहीं दूसरी ओर शिक्षकों से शिक्षण कार्य के बजाय परिवार सर्वेक्षण, बी0एल0ओ0 ड्यूटी, स्वास्थ सम्बन्धी कार्यक्रम, निर्वाचन सहित जनगणना के कार्य भी ले रही है, यह सोचने का विषय है कि जब शिक्षक स्कूल ही नहीं पहुंच पायेगा, तो स्कूल में पढ़ाई कैसे होगी तथा जब विद्यालय में पढ़ाई नहीं हो सकेगी, तो बाल शिक्षा अधिकार का लक्ष्य कहां से प्राप्त होगा।
गुणवत्ता परक शिक्षा वह सुविचारित सम्पूर्ण शैक्षिक वातावरण है जिसमें पर्याप्त शिक्षक हों तथा शिक्षक को पढ़ाने के अलावां किसी अन्य कार्य मंें न उलझाया जाये। विद्यालय परिसर सुरूचिपूर्ण व सुरक्षित हो तथा उसमें पढ़ाने वाला शिक्षक समस्या मुक्त व तनाव मुक्त हो। परन्तु यह सब करने की अपेक्षा मात्र प्रचार-प्रसार के माध्यम से गुणवत्ता परक शिक्षा जमीन पर उतारने की कवायद चल रही है। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ की मांग है कि प्रत्येक विद्यालय में अनिवार्य रुप से प्रथम पद प्रधानाध्यापक का सृजित हो तथा 30 छात्रांे पर एक शिक्षक का पद सृजित हो, उक्तानुसार विद्यालयांे में पर्याप्त शिक्षक उपलब्ध करा दिया जाय, तथा शिक्षकांे को एक शिक्षा सत्र मंे कम से कम 220 दिन विद्यालयों में पढ़ाने का अवसर प्रदान कर दिया जाय, तो पूर्ण विश्वास है कि, ऐसा होने पर शैक्षिक परिदृष्य अवश्य बदल जायेगा। इसके लिए तमाम बौद्धिक गैर जरूरी कसरत करने की किसी को जरूरत नहीं होगी। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ की मांग है कि 01 अप्रैल 2005 व उसके पश्चात् नियुक्त शिक्षकों को पुरानी पेंशन व्यवस्था से आच्छादित किया जाय, मृतक आश्रितों को अध्यापक पद पर नियुक्ति देकर सेवारत प्रशिक्षण व टी0ई0टी0 करायी जाय, शिक्षामित्रांे को सेवा अनुभव का लाभ देकर पूर्ण शिक्षक बनाया जाय, परिषदीय विद्यालयांे में कार्यरत शिक्षकांे को उच्चीकृत ग्रेड वेतन 4600 व 4800 पर न्यूनतम मूल वेतन क्रमशः 17140 व 18150 प्रदान किया जाय, पदोन्नति हेतु 5 वर्ष की सेवा अनुभव की सीमा को कम कर 3 वर्ष किया जाय, उच्च प्राथमिक विद्यालयांे मंे सीधी भर्ती पर रोक लगाकर रिक्त पदांे को पदोन्नति के माध्यम से प्राथमिक शिक्षकांे से भरा जाय, साथ ही गणित व विज्ञान के शिक्षकांे की भर्ती रोक कर पद अनुभवी शिक्षकों द्वारा विज्ञान व गणित के पदांे को पदोन्नति से भरा जाय, शिक्षकांे के पाल्यांे को बी0एड0/बी0टी0सी0 व शिक्षक पात्रता परीक्षा सहित नियुक्ति में दस अंक का भारांक प्रदान किया जाय, उच्च प्राथमिक विद्यालयांे के प्रधानाध्यापकों की पदोन्नति खण्ड शिक्षा अधिकारी के रिक्त पदांे के सापेक्ष 20 प्रतिशत की जगह, उक्त कोटा 30 प्रतिशत कर पदोन्नति का लाभ दिया जाय, अनुदेशकांे के समस्याओं का निराकरण प्राथमिकता के आधार पर किया जाय, केन्द्रीय कर्मचारियांे की भांति शिक्षकांे को चिकित्सा भत्ता, यात्रा भत्ता व संतान शिक्षा भत्ता का लाभ प्रदान किया जाय। जिससे शिक्षकांे को उक्त लाभ प्राप्त हो। इसके लिए हम निरन्तर संघर्षशील हैं।
छठें वेतन आयोग की संस्तुतियां तो हमें मिली परन्तु उसके साथ भत्तों का पैकेज हमें जस का तस अभी तक नहीं मिला है, यदि भत्तों की समानता कायम नहीं हो सकी तो हम निरन्तर पिछड़ते चले जायेंगे तथा सातवें वेतन आयोग में भी कुछ नई चुनौतियां हम सबके सामने खड़ी हैं। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ आपके बलबूते संघर्ष के लिये तत्पर हैं। कुछ राजाज्ञाएं निर्गत कराने में सफलता मिली है तथा कुछ के लिए निरन्तर प्रयास किया जा रहा है। अपने संगठन के प्रति निष्ठा बनाये रखें तथा संगठन की गतिविधियों में जोश के साथ हिस्सा लें, विश्वास करें,साथ निभायें, जिससे हम सब अवश्य सफल होगें। अपने महान संगठन के बल पर हम अपनी जय-यात्रा निरन्तर जारी रखेंगे। शुभमस्तु